सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं,
हर जख़्म सहने को तैयार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
मुझे मेरे रब ने है शीशा दिखाया,
फ़क़त व्यर्थ हूँ, हाँ बेकार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
चला था चमकने, मै उनके जहां मे,
मुझे न पता था खुद अंधियार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
तमन्ना थी उनको मैं अनहद खुशी दूं,
मगर क्या करूं दुख का बाजार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
सभी को थीं उम्मीदें मुझसे बथेरी,
सभी के स्वपन का कतलगार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
जिसे पाने को मैने छोड़ा जमाना,
वो कहते हैं नफ़रत का हकदार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
उनकी ख़ता तो तनिक भी नही है,
दरअसल आजकल थोड़ा बीमार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
मैं कहता हूँ "वसुधे! मै तेरा गगन हूँ,
वो कहते हैं इस धरती पर भार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
यूं बकवास करना तो आदत है मेरी,
अजी! ख़ब्ती, दीमागी-बीमार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
उन्हे मेरी ज़िद से बहुत दुख मिले हैं,
अभी भी उन्ही का तलबगार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
अभी खून मुंह से निकला नहीं है,
अभी मत समझना वफादार हूँ मैं ।
सजा दो मुझे हाँ गुनहगार हूँ मैं.......
Out of words bro
जवाब देंहटाएंSuperb
Fabulous
Padh ke poora maja aaya