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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

मैने मुड़के वापस नही आना


शक के बादलों

पर्वत में

 मत बदल जाना, 


समर्पण के महल मेरे

आंसूओं में 

मत पिघल जाना । 


अपने आबिद को सम्भाल-

मेरे माबूद, 

मैने मुड़ के वापस नही आना ।।

2 टिप्‍पणियां:

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