वफा़
खुद को भूला, खुदा को भी भूला,
इंतहा के लिए और क्या चाहिए ?
न छुएगें लबों को, कभी भी किसी के,
वफा़ के लिए और क्या चाहिए ?
कदमों मे तेरे, शवा हो गए हम,
इम्तिहाँ के लिए और क्या चाहिए ?
झोकों मे तेरे, उड़ा हूँ पतंग सा,
बता ऐ हवा और क्या चाहिए ?
तुम्हारे सिवा, याद रहता नही कुछ,
नशा के लिए और क्या चाहिए ?
ख़ताएं तुम्हारी, क्षमा मैने मांगी,
राब्ता के लिए और क्या चाहिए ?
ज़माने के सारे, सितम सह गया मै,
अदा के लिए और क्या चाहिए ?
ख़ुद्दारी गवाँ दी, तेरी ख़ुशी में,
फ़ना के लिए और क्या चाहिए ?
सुलगती इश़क की, अगन जल उठेगी,
तुम्हारे नजर की हवा चाहिए ।
सातों जनम संग तेरे रहूंगा,
फ़क़त इक वफा का मकां चाहिए ।
मैने तो सबकुछ बयां कर दिया है,
बयां के लिए और क्या चाहिए ?
न छुएगें लबों को कभी भी किसी के,
वफा़ के लिए और क्या चाहिए ?
इंतहा = हद, (अंतिम सीमा) ।
इम्तिहाँ = इम्तिहान।
शवा = ख़ाक, ।
राब्ता = रिश्ता ।
अदा के लिए = निभाने के लिए ।
हवा = वायु , प्रोत्साहन ।
Shandar bhai out of words
जवाब देंहटाएंThanks a lot dear 😘
हटाएंSpeechless बहुत कढ़ा हुआ शायर है आपके अंदर ..... superb
जवाब देंहटाएंआपके शब्दों से मैं कृतज्ञ हो गया।
हटाएंमैं कृतज्ञतापूर्वक आपका आभार प्रकट करता हूँ 🙏🙏.
Bhai lajawab so bahut ucch koti ke shayar ha
जवाब देंहटाएंPadh ke bahut Maza aya
आपका बहुत बहुत आभार मेरे मित्र 🙏🙏.
हटाएंआपसे अनुरोध है "कमेन्ट करते समय अपना नाम भी पब्लिश किया करिए" ताकि आप से परिचित हो सकूं।
Kamal hai apki lekhni
जवाब देंहटाएंसहृदयतापूर्ण धन्यवाद निशंक जी 🙏🙏.
हटाएंवैसे अभी कमाल का लिखना बाकी है, प्रयास कर रहा हूँ।
आपको पुनः धन्यवाद।