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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

वफा़

 

 


             वफा़


खुद को भूला, खुदा को भी भूला,

इंतहा के लिए और क्या चाहिए ? 


न छुएगें लबों को, कभी भी किसी के,

वफा़ के लिए और क्या चाहिए ? 


कदमों मे तेरे, शवा हो गए हम, 

इम्तिहाँ के लिए और क्या चाहिए ? 


झोकों मे तेरे, उड़ा हूँ पतंग सा, 

बता ऐ हवा और क्या चाहिए ? 


तुम्हारे सिवा, याद रहता नही कुछ,

नशा के लिए और क्या चाहिए ? 


ख़ताएं तुम्हारी, क्षमा मैने मांगी, 

राब्ता के लिए और क्या चाहिए ? 


ज़माने के सारे, सितम सह गया मै, 

अदा के लिए और क्या चाहिए ?


ख़ुद्दारी गवाँ दी, तेरी ख़ुशी में, 

फ़ना के लिए और क्या चाहिए ?


सुलगती इश़क की, अगन जल उठेगी, 

तुम्हारे  नजर  की  हवा  चाहिए ।


सातों  जनम  संग   तेरे   रहूंगा, 

फ़क़त इक वफा का मकां चाहिए ।


मैने तो सबकुछ बयां कर दिया है,

बयां के लिए और क्या चाहिए ?


न छुएगें लबों को कभी भी किसी के,

वफा़ के लिए और क्या चाहिए ? 


                         अवध कुमार....✍️



इंतहा = हद, (अंतिम सीमा) । 

इम्तिहाँ = इम्तिहान। 

शवा = ख़ाक, ।

राब्ता = रिश्ता ।

अदा के लिए  = निभाने के लिए ।

हवा = वायु , प्रोत्साहन ।






8 टिप्‍पणियां:

  1. Speechless बहुत कढ़ा हुआ शायर है आपके अंदर ..... superb

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    1. आपके शब्दों से मैं कृतज्ञ हो गया।
      मैं कृतज्ञतापूर्वक आपका आभार प्रकट करता हूँ 🙏🙏.

      हटाएं
  2. Bhai lajawab so bahut ucch koti ke shayar ha
    Padh ke bahut Maza aya

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार मेरे मित्र 🙏🙏.
      आपसे अनुरोध है "कमेन्ट करते समय अपना नाम भी पब्लिश किया करिए" ताकि आप से परिचित हो सकूं।

      हटाएं
  3. उत्तर
    1. सहृदयतापूर्ण धन्यवाद निशंक जी 🙏🙏.
      वैसे अभी कमाल का लिखना बाकी है, प्रयास कर रहा हूँ।

      आपको पुनः धन्यवाद।

      हटाएं

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