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रविवार, 28 मार्च 2021

स्मृति



सब पूछ रहें "क्या लाओगे" ? 

कुछ न कुछ सबको बता दिया । 

बेटा, "तुम घर कब आओगे" ?

 पूछ के माँ ने रूला दिया ।। 



होली मे घर आऊंगा,

अम्मा को ढांंढस बंधा दिया । 

तो घर-गलियों की यादों ने, 

मेरी व्याकुलता बढ़ा दिया ।। 



जाने के दिन नजदीक हुए, 

यादों का चित्रण उभर गया । 

"कहाँ रोज लगती थी संगति, 

 स्वर्णिम शामों में किधर गया" ! 



वो कंचे, वो गिल्ली-डंडा, 

रस्ते में खुरपी से गड्ढा 

जामुन पेरुक अम्बिया अमरा-

से स्मृति पटल सचित्र हुआ ।। 



आह्लाद, प्रह्लाद के रंगों से, 

हर इक चित्र विचित्र हुआ ।

मन के उपवन मे "मेह देख- 

फिर मेहप्रिय का नृत्य हुआ" ।।



इक इक क्षण सदियों जैसा,

ज्यों काले जंगल का रस्ता । 

गिन-गिन के भावविभोर हुआ,

तब गमन दिवस का भोर हुआ ।। 

Avadh Kumar.....✍️

 

बुधवार, 24 मार्च 2021

मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ



जो बांहे फसाकर चले साथ हम तुम, 

उन बांहो में रातों को सोना चाहता हूँ,

मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ । 


जिस प्यार की हसरत रही है मुझे उम्र भर, 

वो प्यार तुम्हें देना चाहता हूँ,

मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ । 


पहले मिलन पर मिली जो खुशी थी, 

ये दुनिया बहुत खूबसूरत लगी थी,

उसी दुनिया में खोना चाहता हूँ, 

मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ । 


इक दूसरे को मुहब्बत का घर दें , 

जो ख़्वाहिशें हैं 'हकीकत में कर दें',

तुम्हारे संग खुद को संजोना चाहता हूँ, 

मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ ।



वीराने में तो बहुत रो चुका हूँ, 

भरी महफिलें भी हुईं पानी-पानी,

कसम है तुझे आके सीने लगा ले,

अब, तेरी बाँहों में रोना चाहता हूँ,


मैं तुम्हारा होना चाहता हूँ ।

रविवार, 21 मार्च 2021

खुशी, शांति और आत्म-सुख




भीड़ में लोगों से मुलाकात होती है ।
 एकांत में स्वयं से ।

लोगों से मिलकर खुशी मिलती है।
 स्वयं से मिलकर शांति ।

और

आध्यात्मिक से मिलकर
सुख मिलता है, आत्म-सुख ।
अर्थात् परम्-सुख मिलता है ।

                 AvadhKumar.....✍️

मुझको मुझमे ही रहने दो

'मेरा दर्द' मुझे ही सहने दो,  'मुझको' मुझमे ही रहने दो । मैं क्या करता हूँ? पता नहीं,   'पर जो क...