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शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

छलकती आंखें



उनके सलूक से, इस क़दर भर आयीं आंखें, 
कि नजर मे सब अंधेरा है। 

बे-इंतहा दर्द की, यह कैसी रात थी! 
यह कैसा सवेरा है! 
            अवध कुमार 

4 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. वैरी गुड कहके रो रहे हो,
      ये मेरे जज़्बात हैं अपने पे क्यूं ले रहे हो?

      हां, ये दिल के जज़्बात हैं, कला नही है।

      लेकिन, मुहब्बत बहुत खूबसूरत है, कोई बला नही है।

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